किराए का मकान

 ‎तेरी आंखो में थोड़ी शरारत है 

‎देखुं जो मैं तेरी आंखों में 

‎मन मेरा जोरों से मचलता हैं 

‎जा रहा होता हूं मैं किसी और काम से 

‎किसी और रास्ते पर मगर न जाने क्यूं हर बार 

‎तेरे पिछे मेरा रास्ता बदलता है।

‎रास्ते की अहमियत तो तूझे पता होगी 

‎कि हर एक रास्ता किसी न किसी मंजिल को जाता है 

‎मगर न जाने क्यूं मेरा हर एक रास्ता 

‎तेरे मकान की और जाता है।

‎मकान किराए पर बहुत मिलते हैं 

‎हैं आलिशान मकान हमारे मोहल्ले में भी

‎मगर तुम्हारे मोहल्ले के उस कच्चे कोठरी से 

‎मकान की बात ही कुछ और है 

‎जहां रात को चांद दिन में सुरज दिखे ना दिखे 

‎मगर हर वक्त ठीक सामने तुम्हारा चेहरा दिखता है।

भारत स्काउट का झंडा

 ‎नीले आसमां मे गहरा नीला रंग लिए 

‎बहती बयार के संग लहराता हुआ

‎पुल्कित होता है हर स्काउट और गाइड 

‎देख इसे ऊंचाई पर फहराता हुआ 

‎नीलापन संदेश बंधुत्व भाव का लिए

‎लगा पीली पृष्ठभूमि पर नीला बेज 

‎लिए है उत्तरोत्तर उन्नती का संदेश 

‎त्रिदलीय पंखुड़ीयां प्रतिज्ञा याद दिलाती 

‎उचित अनुचित हमें बतलाती

‎वर्दीधारी जिसकी सदा शान बढाते 

‎सदा उन्नति के पथ पर बढ़ते जाते

‎यही है वो लोग जो सुरमा कहलाते

‎एसा है हमारा भारत स्काउट का झंडा 

‎इसी के नीचे हमारा धाम है 

‎इसे हमारा दिल से सलाम है।

प्रितम तूं ही म्हारो यार है

 एक समय बो हो जद 

‎प्रेम-परिपाटी म जाणतो कद 

‎हूंतो म भोळो-भाळो टाबरियो 

‎तेरी हुक मन बावळो बणायो है 

‎आब बण भाट बिड़दाऊं हूं

‎हिय री हुक सुणाऊं हूं 

‎आब दूजो काम म करूं किंया

‎मारो हियो छाती फाड़ है 

‎तुं न दिख जद हियौ कूरळाव है 

‎देखुं जद ओर कानी तो म्हारो 

‎हियो आडी चोसांग्यां बाव है 

‎म्हारी आंख्यां म रमगी तु 

‎म्हार हिय हुई सवार है 

‎प्रितम तूं ही तो मारो यार है

‎प्रितम तूं ही तो मारो यार है

फूल-भंवर


परम प्रिये! पावन पुष्प परमानन्द पोषित ।

रश्मि रंगत ल्याव, समीर हिंडोला हिंडाव ।।१।।


रमा,रुद्राणी, रत्ती ज्युं रंगत चोखी-भली

लगत ज्यूं भव कूंज की कोमल कली ।।२।।


श्याम घटा घटी, लगी सावन की झड़ी ।

फुट पड़यो जोबनीयो, महक बरस पड़ी ।।३।।


महक स्यूं बहक पड़यो नवल छैल-भंवर।

गुन्जन करत हरदम मडराय रयो चहुं और।।४।।


फूल खिलत-फलत है, भंवर डुब्यो रस माहीं ।

मोह लग्यो भंवर स्यूं, भरी उमंग नस-नस माहीं।।५।।


उमंग री तरंग स्यूं चमक आई चांदणी ज्यूं।

चंदा सम चमक्यो पियो उणा री चांदणी स्यूं।।६।।


बसंत आयो पावणो कामदेव री संगत म 

‎रमा ज्यूं रम गई सजना पिया गी रंगत म ।।७।।

‎बिरखा रो जोर घणो कोयल ज्यूं कूकी कामणगारी 

‎पियो कुरळाय पसर गयो मोर ज्यूं देख सुरत प्यारी ।।८।।




प्यारा प्यार

                         *प्यारा प्यार *

                       पता चला मुझे 

                       मैं प्यार करता हूं तझे ।


                      मैं तेरे ख्यालों में खो गया 

                      उस रात गहरी नींद सो गया

                      अगले दिन इजहार हो गया -

                      "मुझे तुमसे प्यार हो गया।"


                       चांद सा चेहरा तेरा

                       सितारों सी आंखे 

                       चांदनी सी चमक है।

                       अगर कहा तुमने मुझसे 

                       चांद सितारे लाने को 

                       तो तेरा ही चित्र ले आऊं मैं ।


                      प्यार की नदी है उफान पर

                      उमंग ले रही यह तेरी मुस्कान पर

                      फिर भी मुख मेरा मलिन है

                      मन मेरा भय के अधीन है।

                      तुम्हें पा जाऊं तो 

                     अधुरा पाने का डर है

                      तुम्हें खो देने मे भी

                      न भूल पाने का डर है।




मेवाड़ी माटी गो लाल

 

घणा ही राणा हुय्या 

बण राणो प्रताप हुय्यो 

घणकरा राणा पर भारी

बैरया पर जेउड़ी-जेउड़ी आंतो 

आजादी खातर लड़ ज्यांतो ।


सुणगे नावं प्रताप 

अकबर न चढ़ती ताव 

ताव म धाण धुकता 

बदन म पसीना छुटता 

एकर हिम्मत करगे सेना भेजी 

मेवाड़-सपुता इता कोजा कुट्या क 

हळदीघाटी म भाज्या दूस्मीड़ा 

ले-ले चप्पल हाता म ।

एकर ओरुं कुटिज्या 

बैरिड़ा दिवेर म 

बठ्यो गणो ही सीर पंपोळ्यो 

बण दोनुं गेड़ां 

अकबर साम कोनी आयो 

बिन ठा हो क 

राणो है मेवाड़ी माटी गो लाल 

भायड़ा

 घणी कोजी अदेड़ खाल 


Language - Rajasthani           Poem - Mevadi mati                                                                             go lal

बलिदान

                 



ए वतन कैसे चुकाएं हम अपनी कर्जदारी,

बलिदान मांग रही हमारी मिट्टी प्यारी।

कहती हमको बारम्बार कि 

जग मलिन हुआ जाता,

उठा लो तुम ज्ञान पताका,

मिटा दो जग की मलिनता सारी,

बलिदान मांग रही हमारी मिट्टी प्यारी,

ए वतन कैसे चुकाएं अपनी कर्जदारी।

भर गला कहते हम भी मां तुमको,

ओ मां!

इस पुत्र के लिए तुमने कितने कष्ट सहे

और अब भी सह रही हो पीड़ाएं,

परन्तु अब ऐसा न होगा,

किया जो आह्वान तुमने हमारा,

सोच रहे हम उनकी जो

नन्हें-नन्हें बालक कर रहे तेरी मिट्टी में क्रिड़ाएं,

प्रेम-मय, ज्ञान-मय रक्त मांग रही जिनकी धमनी- शिराएं,

जिनका ही होगा कल को तुम पर बसेरा,

हम उनकी तकदीर बदल देंगे,

तेरा संदेशा हम उनको कहेंगे,

गायेंगे वो तेरी महिमा प्यारी,

बलिदान मांग रही हमारी मिट्टी प्यारी,

ए वतन कैसे चुकाएं हम अपनी कर्जदारी।


Language - Hindi              POEM- BALIDAN 

                                        

        




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किराए का मकान

 ‎तेरी आंखो में थोड़ी शरारत है  ‎देखुं जो मैं तेरी आंखों में  ‎मन मेरा जोरों से मचलता हैं  ‎जा रहा होता हूं मैं किसी और काम से  ‎किसी और रास...