कब आओगे तुम?
लगी मिलन की आश
इंतजार मे खड़ा हूँ,
प्यार में पड़ा हूँ,
द्वार पर बैठा हूँ,
देख रहा राह,
लगी मिलने की चाह,
हवाएं चल रही,
चमक रहा सुरज,
वसंत का मोसम,
फाल्गुन का महीना,
दुभर लग रहा
यार अकेले जीना ।
अब आ भी जाओ,
इतना भी मत सताओ,
कहे देता हूँ, अभी
सुन लो मेरी पुकार,
अगर तुमने ना सुनी,
तो ऊपर वाला सुन लेगा,
फिर बैठे पछताओगे,
दुःख से भर जाओगे,
चाह तो बहुत होगी,
मगर मिलन न होगा,
फिर कभी।
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