चाहत

 



देखता हूं 

राहें मैं तेरी

आह मेरी 

मांगे बांह तेरी 

मन मेरा 

संगती चाहे तेरी

तूं ही तो 

है आशिकी मेरी

तूं ही 

है दिदार मेरा 

बस एक तूं 

ही श्रृंगार मेरा 

बस एक बार 

पुकार ले जरा

बस एक बार 

चाह ले जरा 

इंतजार में

हूं मैं खड़ा 

प्यार मे जबसे पड़ा।

बिन तेरे 

है सुबह सूनी 

है शाम सूनी

है मन भी सूना 

है तन भी सूना

आंखे चाहे मेरी

देखना तूझे

कान चाहे मेरे 

आहटें तेरी

चाहे मन मेरा 

कदमों संग तेरे 

कदमताल होगी

फ़िक्र है मूझे 

हमारी नई गृहस्थी की

बताओ तो सही 

इस सीलसीले में 

कब हमारी मुलाकात होगी।

2 टिप्‍पणियां:

फूल-भंवर

परम प्रिये! पावन पुष्प परमानन्द पोषित । रश्मि रंगत ल्याव, समीर हिंडोला हिंडाव ।।१।। रमा,रुद्राणी, रत्ती ज्युं रंगत चोखी-भली लगत ज्यूं भव कूं...